कांग्रेस तीव्र, समावेशी और सतत विकास के प्रति अपनी गहन प्रतिबद्धता की
फिर से पुष्टि करती है एवं इसके पारिस्थितिक तंत्र, स्थानीय समुदायों,
वनस्पतियों और जीवों की रक्षा करेगी। हमे याद है कि वह प्रधान मंत्री
इंदिरा गांधी ही थीं जिन्होंने सबसे पहले इस उद्देश्य के लिए कानून, नियम
और संस्थाएं बनाई थीं। जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के नेतृत्व में तैयार की गई थी। इस कार्य योजना
की भाजपा की गलत आलोचना के बावजूद, भाजपा/एनडीए सरकार ने बाद में इसकी
प्रासंगिकता और वैधता को स्वीकार किया। हालांकि, इसमें पिछली नीतियों से
कई विचलन हुए हैं और 'व्यापार करने में आसानी' के नाम पर पर्यावरण
संरक्षण, वन संरक्षण, जैव विविधता संरक्षण, तटीय क्षेत्र विनियमन,
आर्द्रभूमि संरक्षण और आदिवासी अधिकारों की सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण
घटकों को कमजोर कर दिया गया है।
वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण सार्वजनिक स्वास्थ्य पर भारी असर डाल रहे हैं। आदिवासी और पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में आजीविका नष्ट हो रही है।
कांग्रेस पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को उस गंभीरता से संबोधित करेगी जिसकी वे हकदार हैं।
भारत में दुनिया की आबादी का 18 प्रतिशत हिस्सा है लेकिन जल संसाधन केवल 4 प्रतिशत है। जलवायु परिवर्तन एवं अनियमित मानसून ने किसानों, उद्योगों, उपभोक्ताओं एवं अन्य लोगों द्वारा महसूस किए जाने वाले पानी के तनाव को बढ़ा दिया है।