आर्थिक न्याय
कांग्रेस की आर्थिक नीति
आर्थिक न्याय उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि राजनीतिक और सामाजिक न्याय। कांग्रेस की आर्थिक नीति समय के साथ विकसित हुई है। 1991 में, कांग्रेस ने उदारीकरण युग की शुरुआत की और देश को एक खुली, स्वतंत्र और प्रतिस्पर्धा से भरी अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ाया। भारत को इससे ज़बरदस्त लाभ मिला - बड़े पैमाने पर धन का सृजन हुआ, नए-नए व्यवसाय शुरु हुए, उद्यम के अवसर पैदा हुए, एक विशाल मध्यम वर्ग बना, लाखों नौकरियां मिलीं, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नवाचार देखने को मिला और निर्यात काफी बढ़ा। करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला गया। कांग्रेस एक खुली अर्थव्यवस्था के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को दोहराते हैं जिसमें आर्थिक विकास को निजी क्षेत्र द्वारा आगे बढ़ाया जाएगा लेकिन एक मजबूत सार्वजनिक क्षेत्र भी होगा।
नव संकल्प का समय है
33 वर्षों के बाद, आर्थिक नीति को री-सेट (फिर से निर्धारित) करने का समय आ गया है। कांग्रेसें एक नव संकल्प आर्थिक नीति की आवश्यकता है। नव संकल्प आर्थिक नीति की आधारशिला नौकरियां होगी। नौकरियां पैदा करने के लिए, भारत को एक उत्पादक अर्थव्यवस्था बनना होगा। कांग्रेसें अपने लिए और दुनिया के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करना होगा। यह भारत के लिए दुनिया के सबसे बड़े उत्पादक के रूप में उभरने एक बड़ा अवसर है।
कांग्रेस बिना रोजगार (Job-less) के विकास और नौकरी को खत्म करने वाले (Job-loss) विकास की भाजपा की विरासत को खारिज करते हैं। कांग्रेस महंगाई से जुड़ी समस्याओं का समाधान करेंगे जिनमें कि एक बड़े वर्ग में व्यापक गरीबी; भूखमरी; महिलाओं और बच्चों में पोषण की कमी; और आय तथा धन की बढ़ती असमानताएं शामिल हैं। हमारी अर्थव्यवस्था के तीन लक्ष्य, थे, हैं और रहेंगे - काम, धन और जनकल्याण।
काम
काम का मतलब है कि बड़े पैमाने पर नौकरियां मिलेंगी और स्व-रोज़गार एवं बिजनेस शुरु करने लिए पर्याप्त अवसर मिलेंगे।
- कांग्रेस अगले अध्याय में दी गई रूपरेखा के अनुसार करोड़ों नौकरियां पैदा करेगी। सबसे ज्यादा नौकरियां निजी क्षेत्र में मिलती है। विशेष रूप से, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई) सेक्टर नौकरियों के लिए सबसे अधिक अवसर पैदा करता है। औसत शिक्षा और औसत कौशल वाले श्रमिकों को भी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.) सेक्टर में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर मिलते हैं।
- कांग्रेस निजी क्षेत्र और हर तरह के उद्यम (बड़े, मध्यम, छोटे एवं सूक्ष्म) को रोजगार के अवसर पैदा करने और वस्तुओं एवं सेवाओं का उत्पादन करने में मदद देगी।
- कांग्रेस अविश्वास और डर के मौजूदा माहौल को बदलकर एक स्वस्थ इको-सिस्टम बनाएंगे जहां निजी उद्यम, नियामक एजेंसियां, टैक्स एजेंसियां और सरकार आपसी सहयोग और सम्मान की भावना से काम करेगी।
- कांग्रेस नवाचार और बौद्धिक संपदा के अधिकारों की रक्षा करेंगे, पैसे का प्रबंध करना आसान करेंगे, और भारत या विदेश में कहीं भी उत्पादन और बिक्री की स्वतंत्रता सुनिश्चित करेगी।
- कांग्रेस, मुक्त व्यापार और नियम आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और वाणिज्य का समर्थन करेगी।
- कांग्रेस द्विपक्षीय और बहुपक्षीय व्यापार समझौतों को बढ़ावा देंगे और उनमें शामिल होगी।
- विनियामक निरीक्षण स्पष्ट रूप से निर्धारित कानूनों और नियमों के आधार पर होंगे। ऐसे नियमों और कानूनों को निष्पक्षता के साथ और बिना किसी भेदभाव के लागू किया जाएगा।
- कांग्रेस सभी के लिए समान अवसर सुनिश्चित करेगी।
- कांग्रेस एकाधिकार (एक कंपनी का प्रभुत्व) अल्पाधिकार (कुछ कंपनियों के प्रभुत्व) और 'क्रोनी कैपिटलिज्म' का विरोध करते हैं।
- कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी कंपनी या व्यक्ति उन वित्तीय या भौतिक संसाधनों या व्यावसायिक अवसरों या रियायतों को सिर्फ़ अपना न समझे जो प्रत्येक उद्यमी को समान रूप से उपलब्ध होनी चाहिए।
- कांग्रेस की नीति उन व्यावसायिक उद्यमों को प्राथमिकता देगी जो बड़ी संख्या में रोज़गार एवं नौकरियों के अवसर पैदा करेंगे।
- पूर्ण रोजगार कांग्रेस का लक्ष्य है। कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को लाभपूर्ण रोजगार मिले।
- कांग्रेस पूर्ण रोजगार और उच्च उत्पादकता लाभ के अपने दोहरे लक्ष्यों को पूरा करने के लिए श्रम और पूंजी के बीच संतुलन बहाल करने के लिए औद्योगिक और श्रम कानूनों में सुधार लाएंगे। भाजपा/एनडीए सरकार द्वारा पारित श्रम संहिताओं की समीक्षा की जाएगी और उनमें संशोधन किए जाएंगे।
- कांग्रेस कार्यस्थलों और आर्थिक अवसरों तक पहुंच में लैंगिक भेदभाव एवं असमानता से सबंधित समस्याओं का समाधान करेगी।
- कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि बैंक स्वयं सहायता समूहों को कम ब्याज पर लोन दें।
- कांग्रेस बैंकों द्वारा लगाए जाने वाले विभिन्न शुल्कों की व्यापक समीक्षा करेगी, ग्राहकों का शोषण रोकेगी और बैंक सेवाओं के लिए लगने वाले शुल्कों को तर्कसंगत बनाएगी।
- कांग्रेस एक शहरी रोजगार कार्यक्रम शुरू करेगी, जो शहरी बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण और नवीकरण में काम की गारंटी देगा।
- कांग्रेस गिग श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करने और उनकी सामाजिक सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक कानून बनाएगी।
- कांग्रेस घरों में काम करने वाले श्रमिकों और प्रवासी श्रमिकों के रोजगार को नियंत्रित करने और उनके बुनियादी कानूनी अधिकारों को सुनिश्चित करने के लिए कानून का प्रस्ताव लाएगी।
- कांग्रेस कर नीतियों को रोजगार और वेतन के साथ-साथ निवेश और मुनाफा बढ़ाने के लिए दिशा देगी।
- कांग्रेस नीतियों में उपयुक्त बदलाव करके धन और आय के मामले में बढ़ती असमानता का समाधान करेगी।
संपत्ति
संपत्ति और संपत्ति का सृजन किसी भी व्यवसाय का लक्ष्य होता है। औद्योगिक और व्यावसायिक नीतियों और विनियमों को बड़ी मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं के उत्पादन को सुविधाजनक बनाने के लिए डिज़ाइन किया जाएगा। उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। बड़े उत्पादन या अधिक मूल्य की हर बाधा, चाहे कानूनी हो या प्रशासनिक, दूर की जाएगी। कांग्रेस भारत के भीतर और आयात के माध्यम से वित्त, कच्चे माल, प्रौद्योगिकी, बौद्धिक संपदा और अन्य संसाधनों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करेंगे। व्यावसायिक उद्यमों को भारत के भीतर या निर्यात के माध्यम से वस्तु एवं सेवाएं बेचने की स्वतंत्रता होगी। मुक्त और निष्पक्ष व्यापार को बाधित करने वाले सभी कानूनों और नियमों की समीक्षा की जाएगी और उन्हें बदला जाएगा।
1990-91 में भारत की जीडीपी स्थाई मूल्यों पर लगभग 25 लाख करोड़ रुपए थी। 13 वर्षों में, पहले कांग्रेस की सरकार में और बाद में गठबंधन की सरकारों में, जीडीपी दोगुनी होकर 2003-04 में 50 लाख करोड़ रुपए के मूल्य तक पहुंच गई। यूपीए के 10 वर्षों में, अर्थव्यवस्था फिर से दोगुनी हो गई - 2013-14 में जीडीपी 100 लाख करोड़ रुपए थी। भाजपा/एनडीए सरकार को 100 लाख करोड़ रुपए की अर्थव्यवस्था विरासत में मिली थी लेकिन उसने इस सुनहरे मौके को गंवा दिया। अगर यूपीए सत्ता में बना रहता, तो अर्थव्यवस्था फिर से दोगुनी हो कर 2023-24 में 200 लाख करोड़ रुपए की हो जाती। लेकिन अफ़सोस है कि भाजपा के कुप्रबंधन के कारण, सकल घरेलू उत्पाद 2023-24 के अंत तक केवल 173 लाख करोड़ रुपए के स्तर तक ही पहुंच पाएगा और एक हासिल हो सकने वाले लक्ष्य से पीछे रह जाएगा।
कांग्रेस तेजी से विकास और धन सृजन के लिए प्रतिबद्ध है। कांग्रेसने अगले 10 वर्षों में जीडीपी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा है।
जन-कल्याण
जन-कल्याण ही काम और संपत्ति सृजन का लक्ष्य है। भाजपा/एनडीए की भेदभाव से भरी नीतियों के कारण भारत की जनता आर्थिक दृष्टि से विभाजित है। अति अमीर लोगों का एक बहुत छोटा सा वर्ग है। एक बड़ा मध्यम वर्ग है। एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो ग़रीबी रेखा से ऊपर है लेकिन अभी भी मध्यम वर्ग में नहीं आता है। और देश में लगभग 22 करोड़ गरीब लोग हैं। गरीबों का कल्याण कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता होगी। कांग्रेस का यह प्रयास होगा कि अगले 10 वर्षों में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 22 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया जाए; वे शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पेयजल, स्वच्छता, बिजली और सबसे ऊपर नौकरियों/कार्य के अवसरों और सुविधाओं का लाभ उठाने में सक्षम हों; और उन्हें आर्थिक रूप से ऊंचे स्थान पर मौजूद अन्य लोगों के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया जाए।
जैसे-जैसे लोग आर्थिक रूप से ऊपर उठते हैं, उनकी ज़रूरतें बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और बेहतर वस्तुओं एवं सेवाओं की होती हैं। इसके अलावा, कांग्रेसें भारतीय अर्थव्यवस्था और भारतीय कार्यबल को भविष्य के लिए तैयार करना होगा। भविष्य की चुनौतियों में वैश्विक अर्थव्यवस्था में बदलाव, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उन्नत तकनीक, रोबोटिक्स और मशीन लर्निंग और जलवायु परिवर्तन शामिल हैं। सारी ऊर्जा का भविष्य हरित ऊर्जा (ग्रीन एनर्जी) है। कांग्रेस ऊर्जा के मौजूदा स्रोतों से हरित ऊर्जा में बदलाव के लिए आवश्यक पूंजी का प्रबंध करेगी।
नव संकल्प आर्थिक नीति का उद्देश्य एक निष्पक्ष, न्यायसंगत और समान अवसर वाली अर्थव्यवस्था का निर्माण करना और सभी वर्गों के लिए समृद्धि लाना होगा। जैसा कि कांग्रेसने 1991 में किया था वैसे ही कांग्रेस एक नई शुरुआत करेगी, जिसमें राष्ट्र निर्माण में सभी वर्गों के लोगों को शामिल किया जाएगा। अब समय आ गया है कि कांग्रेस अपनी अर्थव्यवस्था की दोहरी चुनौतियों, बेरोजगारी और महंगाई, के संदर्भ में आर्थिक विकास के लिए अपने रोडमैप को फिर से निर्धारित (री-सेट) करें और फिर से प्राथमिकताएं तय करें।
कांग्रेस ने इस घोषणापत्र के विभिन्न भागों में काफ़ी महत्वपूर्ण वादे किये हैं। कांग्रेसें उम्मीद है कि इन वादों को क्रियान्वित करके, कांग्रेस एक निष्पक्ष, उचित और न्यायसंगत अर्थव्यवस्था की शुरुआत करने के अपने सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य को प्राप्त कर सकेंगे। यह अर्थव्यवस्था भारत को एक समृद्ध देश बनाएगी और वह बदलती दुनिया में लचीला रुख अपनाने वाला भी होगा।
बेरोज़गारी - नौकरियों की मांग को पूरा करना
आज सबसे अधिक चुनौती से भरा मुद्दा भयंकर बेरोजगारी है। रोजगार न मिलने के कारण हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। 15-29 वर्ष की आयु वाले युवाओं के बीच बेरोजगारी दर 10 प्रतिशत है। 25 वर्ष से कम आयु के 42.3 फीसदी युवा स्नातक बेरोजगार हैं। 30-34 वर्ष की आयु के स्नातकों के बीच बेरोजगारी दर 9.8 प्रतिशत है। प्रति वर्ष 2 करोड़ नौकरी देने का झूठा वादा करने वाली भाजपा पर किसी को भरोसा नहीं है। इस गंभीर समस्या पर भाजपा/एनडीए सरकार की प्रतिक्रिया श्रम बल सर्वेक्षणों को रोकना, डेटा के साथ छेड़-छाड़ करना और यह दिखाने की कोशिश करना है, जैसे समस्या है ही नहीं। कांग्रेस इस समस्या को स्वीकार करते हैं और ठोस पहल के माध्यम से करोड़ों नौकरियों के अवसर पैदा करने का वादा करते हैं:
- केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में खाली पड़े लगभग 30 लाख पदों को भरेंगे। कांग्रेस यह तय करेगी कि पंचायत और नगर निकायों में जितने भी खाली पद पड़े हैं, उन्हें राज्य सरकारों की सकांग्रेसती से समय सारिणी के अनुसार भरा जाए।
- केंद्रीय विश्वविद्यालयों, केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों और केंद्र सरकार के नियंत्रण वाले स्वायत्त संस्थानों में रिक्त शैक्षिक और गैरशैक्षिक पदों को भरेंगे।
- अग्निपथ योजना को समाप्त करेंगे और सशस्त्र बलों (सेना, नौसेना, वायु सेना और तट रक्षक) को स्वीकृत पदों पर पूर्ण रूप से सामान्य भर्ती फिर से शुरू करने का निर्देश देंगे।
- 2,500 से अधिक आबादी वाले सभी गांवों में एक अतिरिक्त आशा कार्यकर्ता की नियुक्ति करेंगे।
- आंगनवाड़ी कार्यकार्ताओं की संख्या दोगुनी करेंगे और 14 लाख अतिरिक्त नौकरियों के अवसर पैदा करेंगे।
- नियमित एवं गुणवत्ता वाली अतिरिक्त नौकरी देने के लिए कॉरपोरेट्स को प्रोत्साहित करने के लिए रोजगार से जुड़ी नई प्रोत्साहन योजना (ईएलआई योजना) लाएंगे। यदि कॉरपोरेट्स अतिरिक्त भर्ती करेंगे तो उन्हें टैक्स क्रेडिट मिलेगा।
- सकल घरेलू उत्पाद में खनन की हिस्सेदारी को 5 प्रतिशत तक बढ़ाने और खनिज से समृद्ध राज्यों में अकुशल और कुशल श्रमिकों के लिए 1.5 करोड़ नौकरियां पैदा करने के उद्देश्य से दुर्लभ मृदा और महत्वपूर्ण खनिजों का पता लगाने और खनन करने के लिए एक रणनीतिक खनन कार्यक्रम शुरू करेंगे।
- कांग्रेस एक शहरी रोजगार कार्यक्रम शुरू करेगी, जो शहरी बुनियादी ढांचे के पुनर्निर्माण और नवीकरण में काम की गारंटी देगा।
- जल निकाय पुनर्स्थापन कार्यक्रम और बंजर भूमि पुनर्विकास कार्यक्रम शुरू करके कम पढ़े-लिखे, कम कुशल युवाओं के लिए नौकरियां प्रदान करेंगे। इन कार्यक्रमों को ग्राम पंचायतों और नगर पालिकाओं के माध्यम से कार्यान्वित किया जाएगा।
- 18-29 आयु वर्ग के युवाओं को लघु और दीर्घकालिक पाठ्यक्रमों के माध्यम से कौशल प्रशिक्षण देने के लिए प्रत्येक जिले में कम से कम एक कौशल प्रशिक्षण संस्थान स्थापित करने के लिए राज्य सरकारों, विश्वविद्यालयों और व्यावसायिक संगठनों को शामिल करते हुए एक स्वायत्त और गैर-लाभकारी संगठन स्थापित करेंगे। मान्यता प्राप्त कौशल प्रशिक्षण संस्थानों में कौशल प्रशिक्षण के लिए सी.एस.आर. फंड का उपयोग करने के लिए कॉर्पोरेट्स को प्रोत्साहित करेंगे।
- पंचायतों को सौर ग्रिड स्थापित करने और बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करेंगे जो सामान्य उद्देश्यों के लिए बिजली पैदा करेंगे और पंचायत स्तर पर रोजगार पैदा करेंगे।
- कार्यस्थलों को महिला श्रमिकों के लिए सुरक्षित बनाने और छोटे बच्चों की देखभाल की सुविधाओं के लिए कानूनों में संशोधन करेंगे। ऐसे कार्यस्थलों तक यात्रा की सुविधा प्रदान करें।
कराधान और टैक्स में सुधार
सरकार द्वारा लिया जाने वाला टैक्स शासन का मूल है। भाजपा/एनडीए सरकार के पिछले दस साल में बेलगाम टैक्स वसूलने का मामला सामने आया है। अप्रत्यक्ष करों में बढ़ोतरी के कारण आम लोगों और गरीबों द्वारा भुगतान किए जाने वाले टैक्स का हिस्सा काफी बढ़ गया है और कॉर्पोरेट्स द्वारा भुगतान किए जाने वाले टैक्स का हिस्सा कम हो गया है। ऐसा होना एक प्रगतिशील टैक्स नीति के बिलकुल विपरीत है। नोटबंदी और जी.एस.टी. के माध्यम से टैक्स बेस बढ़ाने के बड़े-बड़े दावों के बावजूद, पिछले दशक में भारत की जीडीपी में कुल कर नहीं बढ़ा है। ऐसा होने से व्यय में वृद्धि होने की बहुत कम गुंजाइश बची है। कांग्रेस भारत की कराधान प्रणाली को लोगों के अनुकूल और प्रभावशाली बनाने के लिए एवं निजी बचत और निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए इसमें बड़े पैमाने पर परिवर्तन करेगी।
- कांग्रेस एक प्रत्यक्ष कर संहिता बनाएगी जो प्रत्यक्ष करों की पारदर्शिता, समानता, स्पष्टता और निष्पक्ष कर प्रशासन के युग की शुरूआत करेगी।
- कांग्रेस अपने पूरे कार्यकाल के दौरान व्यक्तिगत आयकर दरों को स्थिर बनाए रखेगी। इससे वेतन प्राप्त करने वाले वर्ग को बढ़ती कर की दरों का सामना नहीं करना पड़ेगा और उन्हें मध्यम से लंबी अवधि में अपने वित्त की योजना बनाने में स्पष्टता मिलेगी।
- कांग्रेस "एंजेल टैक्स" और निवेश को बाधित करने वाली अन्य सभी शोषणकारी कर योजनाओं को खत्म करेगी।
- कांग्रेस व्यक्तिगत (प्रोप्राइटरशिप) और साझेदारी फर्मों के स्वामित्व वाले सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.) पर कर का बोझ कम करेगी।
- कांग्रेस केंद्रीय उपकर और अधिभार को सकल कर राजस्व के 5 प्रतिशत तक सीमित करने के लिए एक कानून लाएगी। इस कानून के माध्यम से राज्यों को उनके कर राजस्व के उचित हिस्से से वंचित करने के लिए मोदी सरकार के दोहरे "उपकर" राज को समाप्त किया जाएगा।
- कांग्रेस बीजेपी/एनडीए सरकार द्वारा लाए गए जी.एस.टी. कानूनों को जी.एस.टी. 2.0 के माध्यम से बदलेगी। नई जी.एस.टी. व्यवस्था सार्वभौमिक रूप से स्वीकृत सिद्धांत पर आधारित होगी कि जी.एस.टी. एकल, सीमित दर (कुछ अपवादों के साथ) होगी जिससे गरीबों पर बोझ नहीं पड़ेगा।
- कृषि इनपुट पर जीएसटी नहीं लगेगा।
- जी.एस.टी. काउंसिल को दोबारा डिजाइन किया जाएगा जो की जी.एस.टी. से संबंधित सभी मामलों पर अंतिम प्राधिकरण होगा।
- जी.एस.टी. कानूनों का प्रशासन केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच हॉरिज़ोंटली बांटा जाएगा। एक सीमा से कम जी.एस.टी. देने वाले राज्य सरकारों के अधिन आएंगे।
- जी.एस.टी. से प्राप्त होने वाले राजस्व का एक हिस्सा पंचायतों और नगर पालिकाओं को आवंटित किया जाएगा।
- ऑनलाइन व्यवसायों से प्रतिस्पर्धा का सामना करने वाले दुकानदारों और छोटे खुदरा व्यवसायों को विशेष राहत दी जाएगी।
- आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी), वस्तु एवं सेवा कर अपीलीय न्यायाधिकरण (जी.एस.टी. एटी) और सीमा शुल्क अपीलीय न्यायाधिकरण (सीई.एस.टी. एटी) सरकार के हस्तक्षेप के बिना स्वतंत्र न्यायिक निकाय होंगे।
उद्योग
एक विकसित अर्थव्यवस्था बनने और लाखों युवाओं के लिए अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियां पैदा करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि भारत उपभोग करने वाली अर्थव्यवस्था से उत्पादक अर्थव्यवस्था में परिवर्तित हो। भारत को मैन्युफैक्चरिंग का एक शक्तिशाली केंद्र बनना चाहिए जो अपने और दुनिया के दूसरे देशों के लिए वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन करे। इसके लिए आर्थिक और व्यावसायिक पहलुओं से भी ज्यादा महत्वपूर्ण सामाजिक सद्भाव के बेहतर माहौल का होना है जो निवेश और कुशल श्रम शक्ति को आकर्षित करेगा। इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पिछले 25 वर्षों में, कांग्रेस के शासन के दौरान जीडीपी में भारत की मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी सबसे अधिक रही। इसके विपरीत, पिछले 10 वर्षों (2014-24) में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत पर स्थिर हो गई है।
- कांग्रेस अगले पांच वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करके भारत को मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाने का संकल्प लेती है।
- कांग्रेस के प्राथमिक लक्ष्यों में से एक व्यवसायों के लिए स्वस्थ, भयमुक्त और भरोसेमंद माहौल बनाना होगा। वर्ष 1991 में कांग्रेस की सरकार ने औद्योगिक लाइसेंसिंग और नियंत्रण को समाप्त कर दिया था लेकिन जो स्वतंत्र नियामक व्यवस्था स्थापित की गई है वह प्रत्यक्ष और गुप्त नियंत्रण की प्रणाली में बदल गई है। कांग्रेस मौजूदा नियमों और रेगुलेशन्स की व्यापक समीक्षा करेंगे और उद्योग, व्यवसाय और व्यापार की स्वतंत्रता बहाल करने के लिए उन्हें निरस्त या संशोधित करेंगे।
- कांग्रेस का लक्ष्य होगा कि भारत स्टील, धातु, परिधान और वस्त्र, सीमेंट, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान, फार्मास्यूटिकल्स (औषध उद्योग), इंजीनियरिंग के सामान, पेट्रोलियम उत्पाद, रसायन और दुर्लभ मृदा खनन जैसे कई उद्योगों में नेतृत्व की स्थिति में आए।
- आरबीआई के मुताबिक, केंद्र सरकार की करीब 60 फीसदी बड़ी परियोजनाएं रुकी हुई हैं या उनमें देरी हो रही है और लागत करीब 5 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई है। कांग्रेस मिशन मोड में इस समस्या का समाधान करेगी और निजी क्षेत्र की मदद से रुकी हुई परियोजनाओं को फिर से शुरू करने के तरीके और साधन ढूंढेगी।
- कांग्रेस विशिष्ट क्षेत्रों को लक्षित करने के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना में सुधार करेगी जो भारत को संबंधित क्षेत्र में दुनिया के शीर्ष 5 उत्पादकों में से एक बनाकर हजारों नौकरियां पैदा कर सकती है।
- कांग्रेस नियमित, गुणवत्ता वाली नौकरियों के अतिरिक्त अवसर उत्पन्न करने पर कॉरपोरेट्स को टैक्स क्रेडिट देने के लिए रोजगार आधारित प्रोत्साहन (ईएलआई) योजना लाएगी।
- कांग्रेस बौद्धिक संपदा अधिकारों और छोटे, मध्यम और बड़े व्यवसायों में आईपीआर के पंजीकरण, अधिग्रहण, संरक्षण और उपयोग को सर्वोच्च प्राथमिकता देगी।
- कांग्रेस सभी व्यवसायों को समान अवसर मुहैया कराएगी। कांग्रेस एकाधिकार (एक कंपनी का प्रभुत्व) और अल्पाधिकार (कुछ कंपनियों के प्रभुत्व) का विरोध करती हैं। भारत एक खुली और प्रतिस्पर्धा से भरा अर्थव्यवस्था बने, इसके लिए कांग्रेस भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग को मजबूत करेगी।
- कांग्रेस कॉर्पोरेट कराधान संरचना को सरल बनाएगी और टैक्स टेररिज़्म (आतंकवाद) को समाप्त करेगी। कांग्रेस जांच एजेंसियों को कॉरपोरेट्स को लाभ पहुँचाने या दंडित करने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करने से रोकेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि वे कानून की सख्त सीमाओं के भीतर काम करें।
- कांग्रेस आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स आदि के उपयोग को बढ़ावा देंगे और समर्थन करेंगे, जिससे नई नौकरियां पैदा होंगी। साथ ही, कांग्रेस यह सुनिश्चित करेंगे कि पारंपरिक प्रौद्योगिकी का उपयोग करने वाले क्षेत्रों में नौकरी के अधिक अवसर हों।
बुनियादी ढांचा
सड़कें, रेलवे, बंदरगाह, हवाई अड्डे और बिजली किसी भी अर्थव्यवस्था के हार्डवेयर होते हैं। विश्व स्तरीय गुणवत्ता का बुनियादी ढांचा तैयार करने के लिए पूंजीगत व्यय और आधुनिक तकनीक की आवश्यकता होगी। अर्थव्यवस्था की जरूरतों के अनुसार बुनियादी ढांचे के निर्माण के विभिन्न मॉडलों को अपनाया जाना चाहिए।
- कांग्रेस सार्वजनिक और निजी पूंजी जुटाएगी, निर्माण की गति बढ़ाएगी और बुनियादी ढांचे को मज़बूत करेगी। डिजाइन, गुणवत्ता, कार्यान्वयन की गति, मेंटेनेंस और जवाबदेही पर ध्यान दिया जाएगा
- सार्वजनिक संपत्ति और बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए निजी पूंजी का सहारा लिया जाना चाहिए लेकिन भाजपा/एनडीए सरकार ने इस मॉडल को उलट दिया है। इन्होंने सरकारी पैसे से ऐसी संपत्तियां बनाई हैं जो अंततः निजी हाथों में चली जाती हैं। कांग्रेस जनता के पैसे की इस लूट को रोकेगी।
- कांग्रेस पुराने रेलवे बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करेगी लेकिन ऐसा करते समय कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि आम लोगों और यात्रियों को भी इसका लाभ मिले।
- कवच (टकराव रोधी उपकरण) को यूपीए के कार्यकाल के दौरान विकसित किया गया था। यात्रियों की सुरक्षा के लिए सभी ट्रेन इंजनों और मार्गों पर कवच स्थापित किया जाएगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों और नजदीकी कस्बों/शहरों के बीच परिवहन सुविधाएं और कनेक्टिविटी बढ़ाई जाएगी ताकि लोग ग्रामीण क्षेत्रों में रह सकें और शहरी क्षेत्रों में काम कर सकें।
- कांग्रेस मल्टी-मॉडल शहरी सार्वजनिक परिवहन के लिए एक व्यापक योजना लागू करेगी।
- टोल टैक्स को सड़क का उपयोग करने वाले लोगों द्वारा बेहद शोषण करने वाला माना जाता है। टोल नीति की समीक्षा की जाएगी और सड़क के प्रत्येक हिस्से के लिए टोल राशि और लेवी की अवधि निर्धारित करने के लिए फ़ॉर्मूले लागू किए जाएंगे।
- बंदरगाहों/हवाई अड्डों के बीच दक्षता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए बंदरगाहों और हवाई अड्डों के लिए एक नियामक व्यवस्था स्थापित की जाएगी।
- कांग्रेस हरित ऊर्जा को बढ़ावा देगी। कांग्रेस नवीकरणीय ऊर्जा योजनाएं लागू करेगी जिससे पंचायत या नगर पालिका को जहां तक संभव हो बिजली के मामले में आत्मनिर्भर बनाया जा सके। कांग्रेस कृषि के लिए भूजल निकालने हेतु सौर ऊर्जा से चलने वाले इंजनों को बढ़ावा देगी।
- कांग्रेस यह सुनिश्चित करेगी कि स्थानीय पर्यावरण और समुदायों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए प्राकृतिक संसाधनों को खोजने और निकालने के लिए आधुनिक वैज्ञानिक तरीकों का पालन किया जाए। ऐसी परियोजनाओं को शुरू करने से पहले संबंधित पंचायत या नगर पालिका के प्रतिनिधियों से परामर्श किया जाएगा।