संस्थान
लोकतंत्र की रक्षा और उसे मजबूत करने वाले संस्थानों को इससे पहले कभी इतना कमजोर और कलंकित नहीं किया गया है, जितना कि पिछले 5 वर्षो में हुआ है। भारतीय रिजर्व बैंक, केन्द्रीय सतर्कता आयोग, भारतीय निर्वाचन आयोग, केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो, प्रवर्तन निदेशालय, केन्द्रीय सूचना आयोग, राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग जैसी अनेक संस्थाओं की स्वतंत्रता और स्वायत्तता को छीन कर इन्हे पंगु बना दिया गया है।
- कांग्रेस इन संस्थाओं को संसद के प्रति जवाबदेह बनाते हुए उनकी गरिमा, स्वतंत्रता, स्वायत्तता और अधिकारों को बहाल करने का वायदा करती है। कांग्रेस वायदा करती है कि उन संस्थाओं के महत्व और कार्यक्षेत्र के अनुसार नियुक्ति और चयन की प्रक्रिया पारदर्शी होगी।
- कांग्रेस दल-बदल विरोधी कानून के अन्तर्गत आने वाले विषय, व्हिप का उल्लंघन करने, पार्टी के प्रति निष्ठा छोड़ने या किसी दूसरे दल का समर्थन करने के मामले को नये सिरे से परिभाषित करके, कानून संसोधन करेगी। अयोग्य साबित किया हुआ व्यक्ति, अयोग्य साबित होने की तिथि से अगले 2 वर्ष तक, किसी भी सार्वजनिक पद (मंत्री सहित) और संसद और राज्य विधान मंडल के चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जायेगा।
- हम संसद में किसी भी बिल का मसौदा रखने से पूर्व व्यापक सार्वजनिक परामर्श करेंगे।
- सभी सरकारी योजनाएं और कार्यक्रम सामाजिक ऑडिट (अंकेक्षण) के दायरे में रहेंगे, कांग्रेस सामाजिक जवाबदेही अधिनियम बनाने का वायदा करती है।
- कांग्रेस आधार अधिनियम 2016 में संशोधन का वायदा करती है, जिसके तहत आधार का उपयोग सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी लाभ व सेवाओं तक ही सीमित रखा जा सकेगा। जैसा कि मूल कानून में भी स्पष्ट वर्णित था। कांग्रेस यह भी वायदा करती है कि बॉयोमीट्रिक पहचान की अपनी कुछ सीमाएं है, इसलिए पहचान के तौर पर अन्य वैकल्पिक साधनों की अनुमति भी दी जायेगी।
- लोकपाल की नियुक्ति लोकपाल अधिनियम 2013 के अन्तर्गत किया जायेगा, लोकपाल नियुक्त करने के लिए बनने वाली समिति में लोकसभा में विपक्ष का नेता या लोकसभा में सबसे बड़े दल के नेता को सदस्य के तौर पर शामिल किया जायेगा।