जलवायु लचीलापन और आपदा प्रबंधन

जलवायु परिवर्तन और प्राकृतिक आपदाओं के दोहरे खतरों से निपटे बिना गरीबी का खात्मा संभव नहीं है। प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के कारण गरीबों को ही सबसे ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है।

  1. कांग्रेस राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को दोबारा से देखने और पिछले 14 वर्षों में हुई प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में तथा प्राकृतिक आपदा प्रबंधन अधिनियम तैयार करने के दौरान प्राप्त अनुभवों के आधार पर जरुरी बदलावों को शामिल करने का वादा करती है।
  2. हम राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के कामकाज की समीक्षा करेंगे और आपदाओं को रोकने के महत्वपूर्ण समान कार्य पर जोर देंगे।
  3. हम आपदा प्रबंधन को मनुष्यों तक ही सीमित नहीं रखेंगे, इसमें जंगली जानवरों, घरेलू पशुओं, पालतू जानवरों, पशुधन, कृषि उपज और वृक्षारोपण पर आपदा के प्रभाव को शामिल करेंगे।
  4. हम सार्वजनिक कार्यों के निष्पादन के लिये मनरेगा कार्यक्रम का उपयोग करेंगे, जो बाढ़ और सूखे जैसी आपदाओं के असर को कम करेगा।
  5. कांग्रेस मौसम विज्ञान के उन्नत साधनों को शामिल करके एक आधुनिक जलवायु सूचना प्रणाली विकसित करने का वादा करती है, जो किसानों, मछुआरों और कमजोर परिवारों सहित प्रमुख हितधारकों तक सही पूर्वानुमान, निगरानी और सही जानकारी का प्रसार करेगी।
  6. हम राष्ट्रीय अनुकूलन कोष का आवंटन बढ़ायेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए धन के उपयोग के दिशानिर्देशों को फिर से देखेंगे कि ऐसी योजनाएं वास्तव में किसानों, मछुआरों, वनवासियों, कारीगरों और संबंधित लोगों को फायदा पहुंचा रही हैं।
  • काम

    रोजगार और विकास

  • दाम

    सबके हितार्थ अर्थव्यवस्था

  • शान

    हमारी दूरदर्शिता और ढृढ़शक्ति पर गर्व

  • सम्मान

    सभी के लिये सम्मानजनक जीवन

  • सुशासन

    स्वतंत्र और जवाबदेह संस्थानों की मदद से

  • स्वाभिमान

    वंचितों का आत्मसम्मान