भारत जैसे विशाल राष्ट्र में जहाँ विशिष्ट विषयों को संचालित करने वाले अनेक मंत्रालय एवं विभागों के साथ राज्य और केन्द्र सरकारों की संघीय प्रणाली हों, वहाँ आवश्यक हो जाता है कि एक विशेषज्ञ निकाय हो जो - 1. प्रतिस्पर्धी दावों का मूल्यांकन करे। 2. केन्द्र व राज्य सरकारो के बीच और वित्त मंत्रालय व विभिन्न विभागो के बीच धन के आवंटन की मध्यस्थता करें। 3. धन के उपयोग की निगरानी करे। 4. व्यय ब्यौरा परिणामों के बीच के अंतर का आंकलन और मूल्यांकन करें।
योजना आयोग ने अन्य कार्यों के अतिरिक्त इन कार्यों को भी सफलतापूर्वक सम्पन्न किया है। भाजपा सरकार का योजना आयोग को समाप्त करने का निर्णय बेतूका और विचारहीन था।