संभावित परियोजना और नया योजना आयोग

भारत जैसे विशाल राष्ट्र में जहाँ विशिष्ट विषयों को संचालित करने वाले अनेक मंत्रालय एवं विभागों के साथ राज्य और केन्द्र सरकारों की संघीय प्रणाली हों, वहाँ आवश्यक हो जाता है कि एक विशेषज्ञ निकाय हो जो - 1. प्रतिस्पर्धी दावों का मूल्यांकन करे। 2. केन्द्र व राज्य सरकारो के बीच और वित्त मंत्रालय व विभिन्न विभागो के बीच धन के आवंटन की मध्यस्थता करें। 3. धन के उपयोग की निगरानी करे। 4. व्यय ब्यौरा परिणामों के बीच के अंतर का आंकलन और मूल्यांकन करें।

योजना आयोग ने अन्य कार्यों के अतिरिक्त इन कार्यों को भी सफलतापूर्वक सम्पन्न किया है। भाजपा सरकार का योजना आयोग को समाप्त करने का निर्णय बेतूका और विचारहीन था।

  1. कांग्रेस नीति आयोग को निरस्त करेगी, जो पूरी तरह से सिर्फ अक्षम और नाकाम साबित हुआ है। कांग्रेस मध्यम और दीर्घकालिक योजनाओं को तैयार करने तथा संघीय प्रणाली में महत्वपूर्ण कार्य करने के लिए, एक स्वतंत्र विशेषज्ञ निकाय के रूप में नये सिरे से परिभाषित जिम्मेदारियों के साथ, योजना आयोग के गठन का वायदा करती है।
  2. कांग्रेस का वायदा है कि नया योजना आयोग, प्रसिद्ध अर्थशास्त्रीयों और वित्तीय विशेषज्ञों का एक छोटा संगठन होगा, जिसकी सहायता के लिए उच्च गुणवत्ता वाली विद्वानों और सहायकों की टीम हो, जिनकी संख्या अधिकतम् 100 होगी।
  • काम

    रोजगार और विकास

  • दाम

    सबके हितार्थ अर्थव्यवस्था

  • शान

    हमारी दूरदर्शिता और ढृढ़शक्ति पर गर्व

  • सम्मान

    सभी के लिये सम्मानजनक जीवन

  • सुशासन

    स्वतंत्र और जवाबदेह संस्थानों की मदद से

  • स्वाभिमान

    वंचितों का आत्मसम्मान