आर्थिक नीति

भारत एक विकासशील देश है जो 2030 तक मध्यम आय वाला देश बनने का इच्छुक है। संपदा सृजन और जन कल्याण हमारे दो प्रमुख लक्ष्य हैं। कांग्रेस का आर्थिक दर्शन एक खुली और उदार अर्थव्यवस्था, धन का सृजन, सतत् विकास, असमानताओं में कमी तथा सभी लोगों के कल्याण पर आधारित है। इस तरह की वृद्धि निजी क्षेत्र कार्य कुशल सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा सामाजिक सुरक्षा की प्रणाली को रेखांकित करके ही आयेगी।

हमारी अर्थव्यवस्था अभी भी अत्यधिक नियमों में जकड़ी हुई है, संरचनात्मक समस्यायें बरकरार हैं। सरकारी नियंत्रण और नौकरशाही का हस्तक्षेप बहुत अधिक है। नियमों ने नियंत्रक का रूप ले रखा है। आर्थिक नीतियों में न्यायालयों का हस्तक्षेप बढ़ रहा है। भाजपा सरकार ने सुधारों के पहिए को उल्टी दिशा में मोड़ दिया है। कांग्रेस इन विकृतियों में सुधार करने, उन्हें पूर्ववत् करने और एक खुली और उदार बाजार अर्थव्यवस्था बहाल करने का वादा करती है।

  1. राजकोषीय स्थिरता सबसे पहला और प्रमुख कार्य है। राजकोषीय घाटे को कम करना पहला लक्ष्य है।
    कांग्रेस भाजपा सरकार के राजकोषीय घाटे को कम करने पर ध्यान न देने की प्रवृति को उलट देगी। कांग्रेस 2020-21 तक 3 प्रतिशत सकल घरेलु उत्पाद के लक्ष्य को पूरा करेगी, तथा 2023-24 तक इसी सीमा के नीचे बने रहेगी। जहाँ तक संभव होगा, राजस्व घाटा जी.डी.पी. के 1 प्रतिशत तक रखा जायेगा, बजट के बाहर या बजट के अतिरिक्त जो भी उधार/कर्जा लिया जायेगा, उसका औचित्य के साथ-साथ उधार चुकाने की प्रामाणिकता प्रस्तुत की जायेगी।
  2. मौद्रिक नीति बनाना रिजर्व बैंक का कार्यक्षेत्र है। भाजपा सरकार द्वारा अनुचित तरीके से रिजर्व बैंक के काम काज में दखल को कांग्रेस पूरी तरह बदल देगी। रिजर्व बैंक अधिनियम 1939 के तहत आर.बी.आई. को मौद्रिक नीति बनाने के साथ-साथ अनेक मामलों में स्वायत्तता मिली हुई है, कांग्रेस सरकार आर.बी.आई. की, इस स्वायत्ता, का सम्मान करेगी। आर.बी.आई. गवर्नर समय-समय पर संसद की समिति को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। कांग्रेस वायदा करती है कि सरकार आर.बी.आई. के साथ मिलकर यह सुनिश्चत करेगी कि राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति मूल्य स्थिरता के साथ-साथ विकास के लक्ष्य को भी पूरा करने में सहायक हो।
  3. निरन्तर आर्थिक विकास संपत्ति और संसाधन निर्माण का एक रास्ता है। लाखों लोग अनेक प्रकार की वस्तुओं के निर्माण और सेवा देने का कार्य करते हैं, उनके पास बिना ज्यादा नियमों के दबाव के स्वतन्त्र रूप  से कार्य करने की आजादी होनी चाहिए। कांग्रेस निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के योगदान को मान्यता देने, उद्यमशीलता को बढ़ाने, नवाचार को प्रोत्साहित करने, उन्नत तकनीक के इस्तेमाल तथा जोखिम उठाने को प्रोत्साहित करने के लिए अनुकूल नीति बनायेगी।
  4. हम वह पार्टी हैं जिसने जी.डी.पी. द्वारा उच्च एवं निरन्तर आर्थिक विकास को मापने के महत्व को बताया, कांग्रेस जी.डी.पी. की उच्च वृद्धि दर पर अपने दृढ़ विश्वास को दोहराती है। इसलिए हमारा मानना है कि आर्थिक विकास के चार प्रमुख घटक अति आवश्यक हैं, और कांग्रेस इनके बारे में अपनी स्थिति को स्पष्ट करना चाहती है।
    1. निजी निवेश  : खुली बाजार अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र को अवसरों की पहचान करने, संसाधन जुटाने, उन्नत प्रोद्योगिकी को अपनाने के साथ घरेलु और विदेशी बाजार में अपनी भूमिका सुनिश्चित करनी चाहिए। कांग्रेस निजी क्षेत्र को पूर्ण समर्थन देते हुए उद्यमियो को पुर्नजीवित करने का वायदा करती है।
    2. सरकारी व्यय (पूंजी) : सरकारी पूंजी को सार्वजनिक संपतियों के निर्माण में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। कांग्रेस सड़क मार्ग, रेल मार्ग, जलमार्ग, पेयजल स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा और आन्तरिक सुरक्षा पर पर्याप्त खर्च का वायदा करती है।
    3. घरेलू खपत : एक विकासशील अर्थव्यवस्था में घरेलु खपत में वृद्धि स्वस्थ आर्थिक विकास का सूचक है और इसके लिए यह महत्वपूर्ण है कि गरीब लोग अधिक उपभोग करें। यथोचित स्थिर कीमतों के साथ वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति प्रचुर मात्रा में होनी चाहिए। कांग्रेस व्यापारी वर्ग में अपने विश्वास को दोहरायेगी और ऐसी नीति बनायेगी जिससे घरेलु खपत को प्रोसाहन मिले।
    4. निर्यात : कोई देश बिना निर्यात में उच्च वृद्धि किये उच्च आर्थिक विकास को हासिल नहीं कर सकता है। इसका एक उदाहरण 2004 से 2014 का भारत है, कांग्रेस विदेश व्यापार को एक बार फिर से आर्थिक विकास की धुरी बनाने के लिए आवश्यक कदम उठायेगी।
  5. कांग्रेस बचतकर्ताओं को पुरस्कृत करके बचत विशेषकर घरेलू बचत को प्रोत्साहन देगी। बचत निवेश के लिए संसाधन उपलब्ध करवाते हैं। हमारा लक्ष्य बचत को जी.डी.पी. के 40 प्रतिशत तथा सकल पूंजी निर्माण के 35 प्रतिशत के स्तर पर रखना होगा। हम बैंकों और बीमा कंम्पनियों के साथ मिलकर घरों के लिए सरल वित्तीय उत्पाद तैयार करेंगे।
  6. प्रत्यक्ष विदेशी निवेश : प्रत्यक्ष विदेशी निवेश विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार को अपवाद स्वरूप रखने के अलावा अन्य सभी क्षेत्रों में एफ.डी.आई. का स्वागत किया जायेगा। नियम और कानून न्यूनतम् होंगे। एफ.डी.आई. को राष्ट्रीय तरीके से ढ़ाला जायेगा और घरेलू तथा विदेशी निवेशकों को व्यवसाय स्थापित करने के लिए एक समान सुविधाएं उपलब्ध करवाई जायेंगी। यहाँ पर न कोई छूट होगी और न ही कोई पूर्वव्यापी कर।
  7. निवेश को विवेकपूर्ण तरीके से विभिन्न क्षेत्रों जैसे कृषि और संबद्ध गतिविधियां, उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में समान रूप से बांटा जाना चाहिए, संसाधनों के बंटवारे में बाजार द्वारा निभाई जाने वाली महत्वपूर्ण भूमिका पर कांग्रेस विश्वास करती है, जहाँ-जहाँ भी आवश्यक हुआ संसाधनों के दुरूपयोग को रोकने के लिए नीतिगत् हस्तक्षेप किये जायेंगे।
  8. कांग्रेस निवेश के उन सभी कानूनों, नियमों और विनियमों की समीक्षा करने का वायदा करती है, जो निवेश को नियंत्रित करते हैं। ऐसे सभी नियम, कानून जो वर्तमान समय में बाजार अर्थव्यवस्था के लिए असंगत, पुराने या अवरोध बन रहे है उन्हें निरस्त किया जायेगा।
  9. विदेश व्यापार नीति की समीक्षा अगले तीन महीनों में कर दी जायेगी। आयात और निर्यात को डब्लू.टी.ओ. के नियमों के सापेक्ष स्वतंत्र किया जायेगा। कोई भी नियम कानून या सिद्धान्त जिसमें इस मार्गदर्शक सिद्धान्त को बदलने की क्षमता है, उसका प्रर्याप्त प्रमाणिक तर्कों के साथ समर्थन किया जायेगा और इसका संचालन एक समय विशेष तक सीमित कर दिया जायेगा।
  10. अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र को ऋण की आवश्यकता होती है, स्वस्थ बैंकिग प्रणाली के साथ-साथ गैर बैंकिग वित्त कंपनियों को ऋण सुविधा उपलब्ध करवाने में योगदान महत्वपूर्ण है। आर.बी.आई. गैर वित्तीय वित्त कंम्पनियों (एन.बी.एफ.सी.) और बैंकों की नियामक संस्था है, अतः सरकार सुनिश्चित करेगी कि पर्याप्त  धन नकदी और ऋण देने की प्रक्रिया में कहीं कोई कमी न रह जाये।

    भाजपा सरकार ने छोटे और मध्यम उद्योगों (एम.एस.एम.इ.) कृषि, व्यापार और निर्यात के लिए पर्याप्त ऋण सुविधा की व्यवस्था करने से इंकार कर दिया। उन्होंने एन.पी.ए. का डर दिखाकर एक आभासी रोक लगा दी। सभी कंपनियों को एक ही तराजू में तोलने की प्रवृति और दृष्टिकोण ने कंपनियों को दिवालियेपन की तरफ धकेल दिया, नोटबन्दी ने अनौपचारिक ऋण के सभी स्रोत बन्द कर दिये। परिणाम स्वरूप आज कृषि क्षेत्र विकट संकट में है, एम.एस.एम.ई. या तो बन्द हो गये हैं या चलते रहने के लिए संघर्षरत् हैं, व्यापार पंगु बन चुका है, और पिछले 4 साल में निर्यात में कोई वृद्धि नहीं हुई है। कांग्रेस अर्थव्यवस्था में पनपी इन सभी विकृतियों को खत्म करेगी, आर.बी.आई. के साथ मिलकर ऋण वितरण प्रणाली को पुनः शुरू करेगी और पर्याप्त धन और नकदी को प्रचलन में लाना सुनिश्चित करेगी।
  11. भारत को अगले पांच वर्ष में विनिर्माण का हिस्सा 16 प्रतिशत से 25 प्रतिशत तक करना चाहिए। कांग्रेस का मानना है कि कोई भी चीज जो दूसरे देशों में बन सकती है उसे भारत में भी बनाया जा सकता है। कांग्रेस वायदा करती है कि उन सभी नीतियों, नियमों और कर प्रणाली में सुधार के साथ-साथ उद्यमशीलता को पुरस्कृत किया जायेगा ताकि भारत को विनिर्माण का वैश्विक केन्द्र बनाया जा सके।
  12. कांग्रेस हर व्यवसाय चाहे वो विनिर्माण, आपूर्ति, और निर्यात हो को मान्यता देगी जो नियम-कानून के अनुसार चले, संपत्ति के अधिकारों को सम्मान दे और अनुबंधों की पवित्रता को बरकरार रखते हुए चले। कांग्रेस भारत में व्यापार करने के लिए एक व्यापक कानून बनाने और लागू करने का वायदा करती है जिसमें व्यापार करने के सर्वोत्तम व्यवसायिक नियमों-कायदों और प्रक्रियाओं को शामिल किया जायेगा
  13. हम दुनिया की सभी फॉर्च्यून 500 कंपनियों को भारत में व्यापार करने के लिए लाने का प्रयास करेंगे।
  14. कांग्रेस नये व्यापार और व्यापारियों को पुरस्कृत और प्रोत्साहित करेगी, स्टार्टअप पर लगाया गया एंजेल टैक्स पूरी तरह समाप्त किया जायेगा। हम भारत को एक नवोत्पाद/नवोचार केन्द्र (Innovation Hub) के रूप में विकसित करेंगे।
  15. नोटबंदी व दोषपूर्ण जी.एस.टी. के कारण छोटे व मध्यम श्रेणी के उद्योग बुरी तरह से प्रभावित हुए है। कांग्रेस पार्टी ऐसे प्रभावित उद्योगों को पुनर्जीवित और पुनर्स्थापित करने के लिए नई योजना बनायेगी।
  16. कांग्रेस सामरिक महत्व के सार्वजनिक उपक्रमों तथा अन्य प्रमुख सार्वजनिक उपक्रमों को छोडकर, सभी उपक्रमों से विनिवेश करने का वायदा करती है।
  17. कांग्रेस अच्छे व सक्षम शासन का वायदा करती है, परंम्परागत नौकरशाही के पास हमारे आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने की क्षमता बहुत कम है, हम वायदा करते हैं कि अच्छे आर्थिक नीति निर्माताओं और प्रबंधको को प्रशासन में शामिल करेगें तथा उन्हें पूरी स्वायत्तता दी जायेगी कि वे सरकार के आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए नीति और कार्यक्रम बनाकर उन्हे क्रियान्वित करें।
  18. अगर हम सर्तक नहीं होते हैं, तो सरकारों की प्रवृति होती है कि बाजार के साथ-साथ व्यापार और उद्योग पर नियंत्रण करने के लिए हस्तक्षेप करे। खुली और उदार अर्थव्यवस्था में सरकार की भूमिका होती है। इसलिए यहाँ यह जरूरी हो जाता है कि कांग्रेस सरकार की भूमिका पर अपनी स्थिति स्पष्ट करें-
    1. हम बाजार में बेवजह हस्तक्षेप से सरकार को अलग रखेंगे।
    2. बाजार की उल्लेखनीय असफलताओं की स्थिति को संबोधित करने के लिए सरकार उचित नियमों और विनियमों (पूंजी बाजार बैंकिग) के द्वारा पहल और हस्तक्षेप करे।
    3. हमें सरकार के भीतर उन क्षमताओं (जैसे कराधान, सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं की उपलब्धता) का विकास करना चाहिए, जो उसके मुख्य कार्य है।
    4. कांग्रेस इस बात से भली भांति परिचित है कि 1991 के उदारीकरण के पश्चात देश में बहुत कुछ हासिल किया जा चुका है, लेकिन अभी भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। 2004 से 2014 के बीच 14 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जा चुका है, इस कार्य को नये सिरे से जारी रखा जायेगा। कांग्रेस वायदा करती है कि 2019-2024 के बीच 10 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकाला जायेगा तथा गरीबी को मिटाने के लिए ठोस आधार तैयार करते हुए यह सुनिश्चित किया जायेगा कि 2030 तक कोई भी देशवासी पीछे न छूटे।
  • काम

    रोजगार और विकास

  • दाम

    सबके हितार्थ अर्थव्यवस्था

  • शान

    हमारी दूरदर्शिता और ढृढ़शक्ति पर गर्व

  • सम्मान

    सभी के लिये सम्मानजनक जीवन

  • सुशासन

    स्वतंत्र और जवाबदेह संस्थानों की मदद से

  • स्वाभिमान

    वंचितों का आत्मसम्मान